Friday 13 March 2015

मेरी निगाह को तेरा इंतज़ार अब तक हैं …

धड़कनो में दबा  हुआ सा गुबार अब तक हैं,
मेरी निगाह को तेरा इंतज़ार अब तक हैं  . 

गैर की बाहो में भी तुम मुझे भुला नही सकते ,
सदाओं में कशिश को वो धार  अब तक हैं  

एक रोज़ छुआ था दौरे तनहाई में,
बदन में खुशबु ए यार अब तक हैं 

यु ही मिल जाएगी तू किसी रोज़ उसी रोड पर,
नादान दिल को ये एतबार अब तक हैं 

जीता हूँ दुनिया के कई इम्तहानों में ,
गोया उस हार से हार अब तक हैं  . 

मुझसे पहले जो चोट खाये बैठे थे,
उनको जफ़र बुतो से करार अब तक हैं  ……। 

4 comments:

  1. मुझसे पहले जो चोट खाये बैठे थे,
    उनको जफ़र बुतो से करार अब तक हैं ……।
    बहुत खूब..........
    http://savanxxx.blogspot.in

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  2. गैर की बाहो में भी तुम मुझे भुला नही सकते ,
    सदाओं में कशिश को वो धार अब तक हैं
    बहुत सुंदर .
    नई पोस्ट : बीत गए दिन

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  3. बहुत ही खूबसूरत रचना। बहुत ही बढि़या काम।

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  4. यु ही मिल जाएगी तू किसी रोज़ उसी रोड पर,
    नादान दिल को ये एतबार अब तक हैं
    इश्क में ऐसे एतबार बहुत जरूरी हैं ... वरना आशिकों की जिंदगी कहाँ चल पाती है ...

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